18 पसे ईसू क्यो, “परमेसर को राज कणी तरिया को हे? अन मूँ वींको बखाण कस्यान करूँ?
ईसू वाँने एक ओरी केणी हुणई, “हरग को राज वीं मनक का जस्यान हे जणी आपणाँ खेत में हव बीज वाया।
पछे ईसू क्यो, “परमेसर को राज अस्यो हे, जस्यान कुई मनक खेत में बीज बोवे।
ईसू पाछो ओरी क्यो, “मूँ परमेसर का राज को बखाण कस्यान करूँ?
अन नेई ईंका वाते लोग-बाग केई के, ‘देको, अटे हे कन पछे वटे हे’, काँके परमेसर को राज तो थाँका मयने हे।”
पसे ईसू पाछो क्यो, “मूँ अणी जुग का मनकाँ की कणीऊँ बराबरी करूँ के, वी किंके जस्यान हे?