12 ईसू ने वीं लुगई पे दया अई अन वींने नके बलई अन क्यो, “ए लुगई, थूँ अबे हव वेगी हे।”
ईसू हाराई गलील देस में यहुदया का परातना घर में हरग का राज को हव हमच्यार को उपदेस देतो अन तरे-तरे का रोगा ने हव करतो तको फरबा लागो।
जद्याँ दन आत ग्यो तद्याँ ईसू का नके मनक नरई मनकाँ ने लाया ज्यामें हुगली आत्मा ही अन ईसू वणा हारई आत्माने आपणाँ बचनऊँ काड़ दिदी अन हाराई माँदा मनकाँ ने हव किदा।
अन देको, एक लुगई ही, जिंके अठारा वराऊँ एक दुबळी करबावाळी हुगली आत्मा लागी तकी ही अन वाँ कुबड़ी वेगी ही अन वाँ कणी भी तरियाऊँ हूँदी ने वे सकती ही।
जद्याँ ईसू वींका माता पे हात मेल्यो अन वाँ कुबड़ी हुदी ऊबी वेगी अन परमेसर की बड़ई करबा लागगी।
अन कई यो हव ने हो के, या लुगई ज्या अबराम की बेटी हे अन हुगली आत्मा अठारा वराऊँ लागी तकी हे, जिंने आराम का दन में अणी बन्धनऊँ छूड़ई हे।”