1 वीं दाण थोड़ाक मनक ईसू का कने आया अन वाँने केवा लागा के, जद्याँ थोड़ाक गलीली मनक बली चड़ारिया हा, वीं दाण पिलातुस वाँने मारवा नाक्या अन वाँको लुई वाँकी बली मेंईस मला दिदो।
जद्याँ भाग-फाट्याँ वीं हारई मुक्य याजकाँ अन दाना नेता ईसू ने मार नाकबा को बच्यार किदो।
वाँकाणी ईसू ने बाँदन लेजान पिलातुस हाकम ने हूँप दिदो।
अन पछे वाँ दुई जणा क्यो, “ओ गलील का रेबावाळा, थाँ अटे ऊबा-ऊबा आकास में काँ देकरिया हो? वीं ईसू, जीं आज अटूँ हरग में पराग्या वस्यानीस, एक दन थाँ वाँने पाच्छा हरगऊँ आता तका देको।”
तो वीं ओरी अचम्बा में पड़न बोल्या के, “ये हंगळा बोलबावाळा गलील हिमाड़ा का कोयने कई?
अस्यानीस जनगणना का टेम पे गलील में रेबावाळो यहूदो परगट व्यो। वे भी नरई लोग-बागाँ ने आपणाँ दयने खेंचया हा। पण वो भी मरग्यो। अन वींका चेला भी बखरग्या।