जद्याँ कुई मारा अन मारी हिकऊँ, कुकरमी अन पापी जमानाऊँ हरमाई तो मूँ ज्यो मनक को पूत(ईसू) हूँ, जद्याँ पुवितर हरग-दुताँ की लारे परमेसर की मेमा में आऊँ, तो वींका वाते हरमाऊँ।”
ज्यो कुई माराऊँ अन मारी बाताँऊँ लाजा मरी तो जद्याँ मूँ, मनक को पूत आपणी अन बापू परमेसर की अन पुवितर हरग-दुताँ की मेमा में पाछो आऊँ तो मूँ भी वाँकाऊँ मुण्डो फेर लेऊँ।
मूँ थाँका काम ने जाणूँ हूँ। देको, में थाँका हामे एक बारणो खोल्यो हे, जिंने कुई भी जड़ ने सके। मूँ जाणूँ हूँ के, थाँरा नके थोड़ीक तागत हे, तो भी थें मारी आग्या मानी हे, अन मारो नाम लेणो भी ने छोड़्यो।