7 अन देको, थाँका माता का एक-एक बाल तक गण्या तका हे। अणी वाते दरपो मती। थाँ तो नरी सरकल्याऊँ घणा किमती हो।”
पछे मनक तो एक गाराऊँ घणो अनमोल हे। ईं वाते आराम का दन भलो करणो हव हे।”
हवा में ऊड़बा वाळा जीव-जनावराँ ने देको! वीं ने तो कुई बोवे हे, ने कई काटे हे, अन नेई बकारिया में धान भरे हे! तद्याँ भी थाँको हरग को बाप वाँको पेट भरे हे। कई थाँ वणाऊँ खास कोयने हो?
पण, थाँका माता को एक बाल भी वाँको ने वेई।
ईं वाते थाँकाऊँ अरज करूँ हूँ के, कई खालो, जणीऊँ थाँ बंच सको, काँके थाँकामूँ किंको भी एक भी बाल वाको ने वेई।”