तो वणी दास को मालिक अस्या दन आ जाई के, वो वींकी वाट ने नाळतो वेई अन अस्यी टेम जिंने वो जाणतो भी ने वेई, वीं टेम वो अई जाई। अन मालिक वींने टुका-टुका कर देई अन वींने बना विस्वास करबावाळा का बसमें राक देई।”
ईसू जवाब दिदो, “यद्याँ परमेसर थाँने मारा पे यो हक ने देता, तो थाँ कई ने कर सकता। तो थारो मारा पे कई हक ने वेतो। ईं वाते जणा मने थाँरा हाताँ में हूँप्यो हे, वीं थाँराऊँ भी हेला पापी हे।”