4 “पण, हो मारा हण्डाळ्याँ, मूँ थाँकाऊँ कूँ हूँ के, वाँकाऊँ मती दरपो, जी खाली थाँकी देह को नास कर सके हे। पण, वींका केड़े वीं कई ने कर सके हे, वाँकाऊँ दरपो मती।
वाँकाऊँ मती दरपो, ज्यो बेस थाँने मार कर सके हे पण थाकी आत्माने नास ने सके हे, बेस वीं परमेसरऊँ दरपज्यो ज्यो सरीर अन आत्मा दुयाँ ने नरक में नाकन नास कर सके हे।
पण मूँ आपणाँ जीव ने कई ने हमजूँ। मूँ तो बेस वीं दोड़ अन सेवा का काम ने पूरो करणो छारियो हूँ, जिंने में परबू ईसुऊँ पाई हे, जो परमेसर की करपा का हव हमच्यार की गवई देणो हे।”
जद्याँ वणा पतरस अन यहुन्ना की हिम्मत देकी अन हमज्या के, वे दुई अणभण्या अन भला मनक हे। तो वाँने घणो अचम्बो व्यो। पछे वे जाणग्या के, ईं दुई ईसू की लारे रे चुक्या हाँ।
जो दुक थने जेलणो हे वणीऊँ मती दरप, काँके सेतान थाँका मेंऊँ घणा ने परकबा का वाते जेल में नाक देई। थने वटे दस दनाँ तईं दुक जेलणो पड़ी, पण थूँ हाँचो रेज्ये पलई थाँरी मोत ईं कानी वे जावे। तो मूँ थने जुग-जुग का जीवन को मुकट देऊँ।