38 यद्याँ वी रात में दूजाँ पेर कन तीजा पेर में आन वाँने जागता देके, तो वी दास धन्न हे।
पण ओ जाण लो के, यद्याँ घर का मालिक ने आ खबर वेती के, चोर कणी टेम आई तो जागतो रेतो अन घर में चोरी ने वेबा देतो।
“आदी रात में हो हाको व्यो, ‘देको, बींद, आरियो हे! वणीऊँ मलबा का वाते चालो।’
पण, थाँ यो ज्यान राको के, यद्याँ घर को मालिक जाणतो के, चोर कणी घड़ी आई, तो वो जागता रेवे अन आपणाँ घर में चोरी ने वेवा देतो।