31 पण, थाँ परमेसर का राज की खोज में रेवो। तो ईं हारी चिजाँ भी थाँने मल जाई।”
ईं वाते पेल्या थाँ परमेसर का राज ने होदो अन हाँच पे चालो, तो ईं हारी चिजाँ भी थाँने मल जाई।
पण, एक बात घणी जरूरी हे अन वणी मरियम खास भाग ने चुण लिदो हे। ज्यो वणीऊँ कदी लिदो ने जाई।”
काँके दनियाँ की हाराई मनक जी परमेसर ने ने माने हे, वीं अणा हारी चिजाँ की खोज में रेवे हे अन थाँका बापू परमेसर जाणे हे के, थाँने अणा चिजाँ की जरूत हे।
वीं खाणा वाते मेनत मती करो, ज्यो वासी जावे हे। पण वीं खाणा का वाते मेनत करो, ज्यो अनंत जीवन का वाते हे। अन यो खाणो मनक को पूत थाँने देई, काँके परमेसर वींने यो अदिकार दिदो हे।”
तो आपाँ अणा बाताँ ने देकन कई केवा? यद्याँ परमेसर आपणाँ आड़ी हे तो आपणाँ हामे कूण वे सके हे?
देह की सेवाऊँ तो थोड़ोक नफो वेवे, पण परमेसर की सेवा तो हारी बाताँ में नफो करे हे, काँके अबाणू अन आबावाळा जीवन को वादो ईंमेंइस हे।
आपणाँ जीवन में धन का लाळचऊँ छेटी रेवो। ज्यो थाँका नके हे, वींमेंईस सबर राको, काँके परमेसर क्यो हे, “मूँ थाँने कदी ने छोड़ूँ, मूँ थाँने कदी ने त्यागूँ।”