“ईं वाते मूँ थाँने केवूँ हूँ के, आपणाँ जीव का वाते यो होच मती करज्यो के, आपाँ कई खावा, कई पिबा, अन ने आपणी देह के वाते के, कई पेरा। कई जीव खाणाऊँ अन देह गाबाऊँ खास कोनी?
काकड़ का फुल पे ज्यान दो के, वी कस्यान मोटा वेवे हे? वी ने तो काम करे हे। अन नेई काते हे। तद्याँ भी मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ के, सुलेमान भी आपणाँ हाराई वेभव में वणाऊँ कणी एक तरिया गाबा ने पेरी राक्या हा।