24 कागला पे ज्यान दो के, वी ने तो कई बावे हे, अन ने काटे हे अन ने वाँका नके बकारिया वेवे हे, तुई परमेसर वाँने पाळे हे। पण थाँको मोल तो जीव-जनावराऊँ घणो हेलो हे।
वींका हाताँ में वींको हुपड़ो हे जणीऊँ वो धानऊँ हुंकला ने अलग करी अन आपणाँ खेत मेंऊँ होजा किदो तका गव भेळा करन, कोठा में भरी अन हुंकला ने वीं वादी में बाळी, ज्याँ कदी ने बजे हे।”
हवा में ऊड़बा वाळा जीव-जनावराँ ने देको! वीं ने तो कुई बोवे हे, ने कई काटे हे, अन नेई बकारिया में धान भरे हे! तद्याँ भी थाँको हरग को बाप वाँको पेट भरे हे। कई थाँ वणाऊँ खास कोयने हो?