जद्याँ घर को मालिक पोळ का कमाड़ बन्द कर देवे अन थाँ बारणे ऊबा वेन पोळ की हाँकळ वजान केवो, ‘ओ स्वामी जी, माकाँ वाते कमाड़ खोल दो।’ “वो जबाव दे के, ‘मूँ थाँने ने जाणूँ हूँ अन थाँ कटा का हो?’
कागद ने खतम करतो तको मूँ थाँकाऊँ हाता-जोड़ी करूँ हूँ के, अबे मने ओरी दुक देवो मती, काँके मूँ तो पेल्याऊँ आपणी देह में ईसू मसी का घावा ने लेन गुमीरू हूँ।