धिकार हे नेमा ने हिकाबावाळा ने। थाँ ग्यान का कमाड़ की चाब्याँ तो ले लिदी ही, पण ने तो थाँ वींमें खुद ग्या हो अन ज्यो वींमें जाणा छारिया हा, वाँने भी थाँ रोक दिदा हे।”
वी हाराई वींने पकड़बा की ताक में रेवा लाग्या के, वो कई गलती करे, ईं वाते वणा वींका वाते भेदू खन्दाया। वणा खरा वेबा का नाटक रच्यो, ताँके वींने बाताँ में फसान राजपाल अन अदिकारियाँ का हाताँ में हूँप दे।