जणीऊँ धरमी हाबिलऊँ लेन बरक्या का पूत जकरय्या तईं, जिंने थाँ मन्दर अन वेदी का वसमें मार नाक्यो हाँ, अन जतरा धरमिया की हत्या अटे धरती पे वीं हे, वणा हारई मनकाँ की हत्या की सजा थाँका माता आई।
विस्वास करबा की वजेऊँ हाबिल केनऊँ हव भेंट परमेसर के चड़ई ही। विस्वास करबा की वजेऊँ परमेसर वींकी भेंट ने मान लिदी अन वणीऊँ वींने एक धरमी मनक का रूप में मान मल्यो। वींके मरबा का केड़े आज आपाँ वणीऊँ हिका हा।
आपाँने केन का जस्यान ने वेणो हे, ज्यो सेतान का आड़ीऊँ हो, जणी आपणाँ भई ने मार दिदो हो। काँके वींके भई का काम धरम का हा अन केन का काम बुरा हा, ईं वजेऊँ वणी वींने मार नाक्यो।