50 ताँके जतरा परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा को लुई दनियाँ की रचनाऊँ अबाणू तईं वेवाड़्यो ग्यो हे, वींको हिसाब ईं पिड़ीऊँ लिदो जाई।
“तद्याँ राजो आपणी जीमणी पाल्ड़े वाळाऊँ केई, ‘हो मारा बापू का धन्न मनकाँ, आवो, वीं राज का हकदार वे जावो, ज्यो जग का बणावाऊँ पेल्या थाँका वाते त्यार किदो ग्यो हे।