ईं वाते आपणी धन-दोलत ने बेचन दान कर दो अन आपणाँ वाते अस्या खुल्या वणावो, जी जूना ने वेवे हे। हरग में अस्यो धन भेळो करो, ज्यो ने घटे अन नेई कुई वींको नकसाण कर सके हे अन नेई वटे कुई चोर जा सके हे अन ने वटे किड़ा लागे हे।
“ईसू वाँने क्यो, मूँ थाँकाऊँ केवूँ हूँ दनियाँ की धन-दोलतऊँ आपणाँ वाते यार-दोस्त बणई लो, काँके जद्याँ धन-दोलत खतम वे जाई। तो वी अनंत घर में थाँकी आवभगत करी।
ओ हूँणन ईसू वींने क्यो, “थाँरा में अबे भी एक कमी हे। आपणी हारी धन-दोलत ने गरीबा में बाँट दे अन पाछो आने मारे पाच्छे चाल थने हरग में धन-दोलत को खजानो मली।”
जक्कई ऊबो वेन परबूऊँ क्यो, “ओ परबू जी, देको, मूँ मारी कमई को आदो हिस्सो गरीब-अनाता ने देवूँ हूँ अन यद्याँ किंको भी मन दुकान लिदो हे, तो वींने च्यार-गुणो पाछो दी देवूँ।”
काँके परमेसर अन्यायी ने हे, के थाँका काम अन वीं परेम ने भुल जावे, ज्यो थाँ वींका नाम का वाते बतायो हे के, थाँ पुवितर लोगाँ की सेवा-चाकरी किदी अन कररिया हो।