37 जद्याँ ईसू बाताँ करीस रिया हा। तो कणी फरीसी वाँकी मनवार किदी के, “मारे हाते खाणो खाबा ने मारा घरे पधारो।” ईसू वींका घरे जान खाणो खाबा ने बेट्या।
ईं वाते यद्याँ थाँकी आकी देह उजितो हे अन वींको कस्यो भी भाग अन्दारावाळो ने रेवे, तो आकी देह अस्यो उजितो देई, जस्यान दिवो हगलती दाण आपणी चमकऊँ थाँने उजितो देवे हे।”
फरीसी ने यो देकन घणो अचम्बो व्यो के, वणी खाणो खाबा का पेल्याँ आपणी रीत का हस्याबूँ हात ने धोया।
एक दाण आराम का दन फरीसियाँ मूँ कणी खास फरीसी का घरे ईसू खाणो खाबा का वाते ग्या अन वीं मनक वाँने पकड़बा का मोका की वाट नाळरिया हा।
पछे कणी फरीसी ईसू की मनवार करन क्यो के, “गरुजी आज रोट्याँ आपणाँ घरीस हे।” तद्याँ ईसू वाँके घरे ग्या अन रोटी खाबा ने बेटा।