28 ईंपे ईसू वींने क्यो, “हाँ, पण अणीऊँ भी हेला धन्ने हे वी, जी परमेसर की वाणी हुणे अन माने हे।”
पण ईसू वींने जवाब दिदो के, “मारी बई अन मारा भई तो ईं हे, ज्यो परमेसर की बात ने हुणे हे अन माने हे।”
अबे थाँ यो हाँच जाणग्यो हो अन यद्याँ थाँ अस्यान करो तो परमेसर थाँने आसीस देई।
वीं मनक धन्न हे जीं परमेसर का ईं दरसावा की किताब का संदेसा ने भणे अन हुणे अन ईंका मयने जो बाताँ लिकी तकी हे, वाँके जस्यान चाले हे। काँके वाँ टेम नके हे, जद्याँ ईं बाताँ पुरी वेई।
धन्न हे वाँने जीं आपणाँ गाबा धो लेवे हे। वाँने जीवन का रूँकड़ा का फळ खाबा को अदिकार वेई। वीं फाटकऊँ नगर में जाबा का अदिकारी वेई।