27 जद्याँ ईसू ईं बाताँ केरिया हो, तो भीड़ मूँ कणी लुगई हाको करन क्यो, “धन्ने हे वाँ लुगई, जणी थने जण्यो अन दूद पायो।”
अन हरग-दुत वींका नके परगट वेन क्यो, “राजी वे, परबू की दया थाँरा पे वीं हे अन वीं थाँरा लारे हे।”
अन वणी हाको करन क्यो, “थूँ हंगळी लुगायाँ में धन्न हे अन थाँरा पेट को फळ धन्न हे।
काँके, वीं आपणी दासी की नरमई पे ध्यान दिदो हे। ईं वाते देकज्यो, आजऊँ हंगळा जुग-जुग का लोग मने धन्न केई।
जद्याँ वा आन आपणाँ हाते ओर भी हात हुगली आत्माने लावे हे अन वी वणी में घुसने वास करे हे अन वणी मनक की दसा पेल्याऊँ भी हेली खराब वे जावे हे।”
काँके देको अस्या दन आरिया हे, जद्याँ मनक केई, ‘घणी भाग्यवाळी हे वी लुगायाँ जी बना छोरा-छोरी की हे अन घणी भाग्यवाळी हे वा कोख जणी कदी बाळक ने जण्यो हे अन घणा भाग्यवाळी हे वी लुगायाँ जणा कदी आपणाँ छोरा-छोरी ने दूद ने पायो।’