25 अन पाच्छी आईने वणने साप-सुतरो अन सज्यो-सजायो पावे हे।
“जद्याँ हुगली आत्मा मनक का मयनेऊँ निकळ जावे हे, तो वी हूकी जगाँ में रईम्बो लेवा का वाते फरती रेवे हे अन जद्याँ ने पावे हे, तो केवे हे के, ‘मूँ वणी घर में पाच्छी जावूँ, जटूँ मूँ निकळी हूँ।’
जद्याँ वा आन आपणाँ हाते ओर भी हात हुगली आत्माने लावे हे अन वी वणी में घुसने वास करे हे अन वणी मनक की दसा पेल्याऊँ भी हेली खराब वे जावे हे।”