24 “जद्याँ हुगली आत्मा मनक का मयनेऊँ निकळ जावे हे, तो वी हूकी जगाँ में रईम्बो लेवा का वाते फरती रेवे हे अन जद्याँ ने पावे हे, तो केवे हे के, ‘मूँ वणी घर में पाच्छी जावूँ, जटूँ मूँ निकळी हूँ।’
थाँ पेल्याँ दनियाँ का हूँगला नेमा पे चालता हा। अन वीं वादळा की आत्मिक सगत्याँ का राजा ने मानता हा, ज्यो आत्मा लोगाँ ने अबे परमेसर को मान ने करबा का वाते मजबूर करती ही।