ईं वाते जद्याँ परमेसर छापेड़ा की चुंटी ने, ज्यो अबाणू हे, अन काले वादी में बाळी जई, वींने अतरी हव बणावे हे, तो हो कम विस्वासवाळा, कई थाँने हव गाबा ने पेराई?
ईसू वींने जवाब दिदो, “यद्याँ थूँ परमेसर का दान ने जाणती, अन ओ भी जाणती वो कुई हे, ज्यो थाँराऊँ केवे हे, ‘मने पाणी पा’, तो थूँ वणीऊँ मांगती अन वो थने जीवन को जळ देतो।”
पतरस वाँने क्यो, “मन ने बदलो अन आपणाँ पापाँ की मापी के वाते थें हारई ईसू मसी का नामऊँ बतिस्मो लेवो। परमेसर थाँने पापाऊँ मापी देई अन थाँने पुवितर आत्मा को दान मल जाई।
काँके जद्याँ एक आदम का पाप की वजेऊँ मोत को राज आयो। तो परमेसर की भरपूर दया अन वाँका धारमिकता का वरदान ने लेबावाळा वणी एक मनक ईसू मसी का मस जीवन पे ओरी हेलो राज करी।
काँके मसी ने मानबाऊँ पेल्याँ आपाँ भी बना ग्यान का, केणो ने मानबावाळा, भटक्या तका अन हरेक तरियाँ की मो-माया का गुलाम हाँ। आपणो जीवन बुरई अन मेपणाऊँ भरियो हे। अन आपाँ एक-दूजाऊँ दसमणी राकता हाँ।