7 वणी घर मेंईस रेवो अन जो कई वटूँ मले, वोईस खावो-पीवो, काँके दानक्याँ ने आपणी दानकी मलणी छावे। घर-घर मती फरज्यो।
अन अस्यान भी क्यो, “जीं घर में थाँने मान मले वटे अतरीक देर तईं रको, जतरी देर तईं वाँ जगाँ ने छोड़ो।
जद्याँ वणी घर में कूण हव मनक वेई, तो थाँकी सान्ती वींने मली। ने वेई तो थाँकी सान्ती थाँका नके पाच्छी आ जाई।
कस्या भी गाम में जाया केड़े थाँकी आवभगत जणी घर में पेली वेवे, वणी घर में जतरे पाच्छा वणी गामऊँ जावो वतरे वटेईस रेज्यो।
जदी वा लुगई अन वींका परवारवाळा हंगळा हाते बतिस्मो लिदो तो वणी माँकी मनवार किदी के, “यद्याँ थाँ मने परमेसर में विस्वास करबावाळी लुगई हमजो, तो अटूँ मारे हाते चालो अन मारे घरे रो।” जद्याँ तईं माँ राजी ने व्या, तद्याँ तईं वा मनवार करतिइस री।
वो वाँने घरे लेग्यो अन वणा ने रोट्याँ खुवई। वीं अन वींको हारोई कटुम्ब परमेसर पे विस्वास करन आणन्दऊँ भरग्यो।
वे जेळऊँ निकळन लुदिया के वटे ग्या, अन हंगळा विस्वास्याँ ने धिजो बन्दान पराग्या।
जणी परमेसर का बचन हुण्या हे, वाँने यो करणो छावे के, वीं आपणाँ नके की हारी हव चिजाँ ने आपणाँ हिकबावाळा का हाते बाटे।
अन वाँ घर-घर फरन आपणो टेम बगाड़णो हिक जावे हे, अन अणीऊँ भी हेलो वाँ फोकट की बाताँ करणी अन दूजाँ का काम में टाँग अड़ाणी हिक जावे हे। जणा बाताँ का बारा में बात ने करणी छावे, वाँका बारा में बाताँ करे हे।
मेनत करबावाळा करसाण नेईस हाराऊँ पेल्याँ हाक को फळ मलणो छावे।