वणी दाण तरिया-तरिया की त्यारी करता तकी मारता घबरागी अन वाँ ईसू का नके आन बोली, “ओ परबू जी, कई थाँने चन्ता ने हे के, मारी बेन मने सेवा करबा का वाते एकलीई छोड़ दिदी हे। अणी वाते वणीऊँ क्यो, मारी मदत करे।”
अन ज्यो बीज झाड़क्याँ में पड़्या वी वणी मनक का जस्यान हे, जी बचन माने तो हे, पण वीं चन्ता-फिकर अन मो-माया अन जीवन का भोग-विलास में दब जावे हे अन वाँके फळ भी ने पाके हे।