“हो कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ पोदिनो अन सोप, अन जीरा को दसमो हिस्सो तो देवो हो, पण थाँ नेमा की खास बाताँ ने छोड़ देवो हो। जस्यान के दया, अन विस्वास अन न्याव ने छोड़ दिदो हे। पण अणीऊँ तो ओ हव हो के, थाँ अणा खास बाताँने ने छोड़ता अन वणा ने भी करता रेता।
काँके थाँ आपणाँ परबू ईसू मसी की दया ने तो जाणोइस हो अन थाँ ओ भी जाणो हो के, वीं अमीर वेता तका भी थाँका वाते गरीब बणग्या। जणीऊँ वाँकी गरीबीऊँ थाँ अमीर वे जावो।