35 दूजे दन वणी दो चान्दी का रिप्या निकाळ वणी धरमसाला का मालिक ने दिदा अन वणीऊँ क्यो, ‘अणी की सेवा-चाकरी करज्ये अन ईंका ऊपरे थारो ज्यो भी खरचो ओरी लागी, पाच्छी आती दाण मूँ थने दे देऊँ।’”
“पण जद्याँ वो नोकर बारणे आयो, तो वींका हाते का नोकराऊँ मेंऊँ एक नोकर वींने मल्यो ज्यो वींको हो दिनार को करजदार हो, वाँकाणी वाँने पकड़न वींको गळो दबायो अन क्यो, ‘ज्यो कुई थाँराऊँ लेणो हे वो दिदे।’
ईं वाते वो वींका नके ग्यो अन वींके लागी ही वटे तेल अन अंगूरा को रस लगान दवई-पट्टी किदी। पसे वींने आपणाँ गदेड़ा पे बेठाण धरमसाला में लेग्यो अन वींकी सेवा-चाकरी किदी।