34 ईं वाते वो वींका नके ग्यो अन वींके लागी ही वटे तेल अन अंगूरा को रस लगान दवई-पट्टी किदी। पसे वींने आपणाँ गदेड़ा पे बेठाण धरमसाला में लेग्यो अन वींकी सेवा-चाकरी किदी।
दूजे दन वणी दो चान्दी का रिप्या निकाळ वणी धरमसाला का मालिक ने दिदा अन वणीऊँ क्यो, ‘अणी की सेवा-चाकरी करज्ये अन ईंका ऊपरे थारो ज्यो भी खरचो ओरी लागी, पाच्छी आती दाण मूँ थने दे देऊँ।’”
पण थूँ तो, “यद्याँ थाँरो दसमण भुको वे तो वींने खाणो खवाड़। यद्याँ वो तरियो वे, तो वींने पाणी पिबा का वाते दे। यद्याँ थूँ अस्यान करी, तो अणीऊँ वो हरमा मरी अन नानो नानो वेई।”