18 ईंपे ईसू वाँकाऊँ क्यो, “मूँ सेतान ने विजळी के जस्यान हरगऊँ पड़तो तको देकरियो हूँ।
पछे ईसू वींने क्यो, “हे सेतान, छेटी वेजा। सास्तर यो केवे हे, “‘थूँ आपणाँ परबू परमेसर ने मान अन बेस वाँकीईस सेवा-चाकरी कर।’”
अबे ईं दनियाँ को न्याव वेबा में हे, अबे अणी दनियाँ का हाकम ज्यो सेतान हे, वींने निकाळ दिदो जाई।
अन न्याव की बात ईं वाते बताई, काँके परमेसर पेल्याईं ते कर मेल्यो हो के, ईं दनियाँ का हाकम ज्यो सेतान हे, वो दोसी ठेरायो ग्यो।
काँके ओलाद माँस अन लुई की ही। ईं वाते वो भी वाँके अणी मनकपणा में भागी वेग्यो, ताँके आपणी मोतऊँ सेतान को नास कर सके, जिंका नके मारबा की तागत हे।
ज्यो भी मनक पाप करतो रेवे हे, वो सेतान को हे, काँके सेतान सरुआतऊँ पाप करतो आयो हे। ईं वाते तो परमेसर को बेटो परगट व्यो, ताँके वो सेतान का कामाँ ने नास कर देवे।
वो वीं अजगर ने ज्या पुराणो हाँप ज्यो इबलिस अन सेतान केवातो हो, वींने पकड़न एक हजार वर का वाते हाँकळऊँ बांद दिदो।
पाँचवे हरग-दुत रणभेरी बजई, तो में आकासऊँ धरती पे एक तारो पड़तो तको देक्यो। वींने पाताळ खोलबा का वाते कुस्याँ दिदी गी ही।