1 अणी बात का केड़े परबू बोईतर चेला ने त्यार किदा। ईसू जणी-जणी नगर, गाम ढाणी में जाबावाळो हो। वणामें दो-दो चेला ने आपणाँ पेल्या खन्दाया।
वो एलिया के जस्यान की आत्मा अन तागत में वेन परबू का आगे-आगे चाली। मनकाँ को मन वाँके छोरा-छोरी का आड़ी फेर देई, अन परमेसर की आग्या ने ने मानबावाळा ने धारमिकता की अकल का आड़ी लेजाई। अन मनकाँ ने परबू का वाते त्यार करी।”
हे मारा बेटा, थूँ, परम परदान परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो केवाई। थूँ परबू को गेलो त्यार करबा के वाते वाँके आगे-आगे चाली।
जद्याँ परबू वींने देकी तो वाँने दया आगी अन वणा क्यो, “रो मती।”
परबू ईसू का नके यो पतो करबा ने खन्दाया के, “कई थूँ वोईस हे ज्यो आबावाळो हे, कन पछे माँ कणी दूजाँ की वाट नाळा?”
अन वणा आपणाँ पेल्याँ आपणाँ दुताँ ने आगे खन्दाया। वी चाल पड़्या अन एक सामरिया मनकाँ का गाम में ग्या के, वाँका वाते त्यारी करे।