58 वींके आस-पड़ोस वाळा अन हगा-होई ओ हामळन के, वींका पे परबू परमेसर दया किदी हे। वाँका हाते आणन्द मनायो।
जणीऊँ थूँ राजी अन खुस वेई अन नरई लोग-बाग वींका जनमऊँ आणन्द मनाई।
वणी क्यो, “अबे आकरी में परबू मारा पे दया किदी अन लोगाँ का हामेंऊँ मारी बेजती छेटी किदी हे।”
एलीसिबा का मिना पूरा व्या अन वणी एक बेटो जण्यो।
पसे ईसू वीं जीमणवाळाऊँ क्यो, “जद्याँ थूँ दने कन राते जीमणो राके, तो आपणाँ हण्डाळ्याँ, भायाँ, परवारवाळा कन रिप्यावाळा पड़ोस्याँ ने मती बुलाज्ये, कटे अस्यान ने वे के, वीं भी आपणाँ जीमण में थने बलान ईंको बदलो पाछो उतार देई।
ज्यो राजी हे वाँके हाते राजी रेवो अन ज्यो रोवे हे, वाँका हाते रोवो।
ईं वाते यद्याँ देह में एक अंग दुक पावे हे तो वींके हाते हाराई अंग दुक पावे हे अन यद्याँ एक अंग की बड़ई वेवे हे तो हाराई अंग वींके हाते राजी वेवे हे।