45 ज्यो बाताँ परबू थने की हे, वींने थें मानी के, वीं पुरी वेई। ईं वाते थूँ धन्न हे।”
में ज्यो क्यो हो, वो तो आपणाँ टेम में पूरो वे जाई, पण थें तो ईंपे विस्वास ने किदो। ईं वाते जद्याँ तईं ओ पूरो ने वेई तद्याँ तईं थूँ बोबड़ो रेई।”
अन देक, जस्यानीस थारो नमस्कार मारा कान्दड़ा में पड़्यो, तो वस्यानीस बाळक मारा पेट में आणन्दऊँ फदक्यो।
काँके, वीं आपणी दासी की नरमई पे ध्यान दिदो हे। ईं वाते देकज्यो, आजऊँ हंगळा जुग-जुग का लोग मने धन्न केई।
ईसू वींने क्यो, “कई में थने ने क्यो हो के, यद्याँ थूँ विस्वास करी, तो परमेसर की मेमा ने देकी?”
ईसू वींने क्यो, “थें मने देक्यो हे, ईं वाते विस्वास किदो हे। पण धन्न हे वीं मनक जणा मने बनाई देक्या विस्वास किदो।”