38 पछे मरियम हरग-दुतऊँ क्यो, “देको, मूँ परबू की दासी हूँ। जस्यान थाँ क्यो, वस्योईस मारा वाते वेवे।” अन वो हरग-दुत वींका नकूँ परोग्यो।
काँके परमेसर के वाते कस्यो भी काम अबको कोयने हे।”
थोड़ाक दन केड़े तरत त्यार वेन मरियम मंगरा में बस्या तका यहूदा परदेस का एक नगर में गी।
काँके, वीं आपणी दासी की नरमई पे ध्यान दिदो हे। ईं वाते देकज्यो, आजऊँ हंगळा जुग-जुग का लोग मने धन्न केई।
वाँमें ओ लिक्यो तको हे के, अबराम के दो बेटा व्या, एक तो दासीऊँ अन दूज्यो वींकी घरकीऊँ ज्याँ गुलामी में ने ही।