आतमणी दिसा की राणी न्याव का दनाँ में अणी जुग का मनकाँ का हाते उटन थाँने दोसी बणाई, काँके वाँ राजा सुलेमान को ज्यान हुणबा का वाते धरती का अणी खुणाऊँ वीं खुणा तईं अई अन देको, अटे ज्यो हे वो सुलेमानऊँ भी मोटो हे।
मूँ तो थाँने मन फेरबा का वाते पाणीऊँ बतिस्मो दूँ हूँ पण वीं ज्यो मारा केड़े आबावाळो हे, वो माराऊँ भी हेलो मोटो हे। मूँ तो वाँका पगरख्याँ का कसणा खोलबा के जोगो भी ने हूँ। वो थाँने पुवितर आत्मा अन वादीऊँ बतिस्मो देई।
पण थाँ आपणाँ दसमणाऊँ परेम राको अन भलई करो, अन पाच्छा पाबा की आस ने राकन उदार दो, तद्याँ थाँने मोटो ईनाम मली अन थाँ परबू परमेसर की ओलाद केवावो, काँके परमेसर आग्या ने मानबावाळा अन पापी मनकाँ पे भी दया करे हे।
ईंपे लोग-बाग क्यो, “माँ सास्तर की या बात हूणी हे के, मसी हमेस्या का वाते जीवतो रेई, पछे थूँ का केवे हे के, मनक का पूत ने ऊसो उटायो जाणो जरूरी हे? यो मनक को पूत कूण हे?”
“फिलोदेलफीया की मण्डली का दुताँ ने ओ लिक। वीं ज्यो पुवितर अन हाँचा हे अन जिंका नके दाऊद राजा का नगर की कुस्याँ हे अन वो जणी बारणा ने खोले हे वींने कुई भी जड़ ने सके अन जिंने वो जड़ हे वींने कुई खोल ने सके। ओ अस्यान केवे हे के,