30 तद्याँ हरग-दुत वींने क्यो, “मरियम दरपे मती, परबू परमेसर की दया थाँरा पे हे।
तद्याँ ईसू तरत वाँकाऊँ क्यो, “हिम्मत राको! मूँ हूँ, दरपो मती!”
तद्याँ हरग-दुत वणा लुगायाऊँ क्यो, “दरपो मती, मूँ जाणूँ हूँ के, थाँ ईसू ने ज्यो हूळी पे चड़ायो ग्यो हो वींने होदो हो।
पण, हरग-दुत वींने क्यो, “जकरय्या दरपे मती। काँके, थारी परातना परमेसर हूँण लिदी हे। ईं वाते थाँरी घरवाळी एलीसिबा एक बेटा ने जणी। वींको नाम यहुन्नो राकज्ये।
“ओ नाना गारा, दरपो मती। काँके थाँरा बापू ने यो हव लागो हे के, थाँने राज देवे।
‘हे पोलुस, दरप मती! थने केसर का हामे ऊबो वेणो जरूरी हे। देक, परमेसर थाँरा पे भलई किदी हे, ईं वाते जो थाँरा हाते जातरा कररिया हे वे भी बंचाया जाया।’
तो आपाँ अणा बाताँ ने देकन कई केवा? यद्याँ परमेसर आपणाँ आड़ी हे तो आपणाँ हामे कूण वे सके हे?
ईं वाते आपीं विस्वास का हाते केवा हा, “परबू मारी मदत करबावाळा हे, मूँ कदी भी ने दरपूँ। मनक मारो कई ने कर सके हे।”