आन्दा पाच्छा देकबा लागा हे अन लंगड़ा चालबा-फरबा लागा हे, कोड़्या को कोड़ हव वेरियो हे अन बेरा हुणरिया हे अन मरिया तका जीवता वेरिया हा। अन दकी अन गरीब मनकाँ ने हव हमच्यार हुणायो जारियो हे।
कन थाँ वणा अठारा जणा का बारा में ज्याँका ऊपरे सिलोह को गुमट पड़्यो अन वीं दबन मरग्या, कई होचो हो के, वीं यरूसलेम में रेबावाळा हाराई मनकऊँ हेला पापी हा?
तो जद्याँ में क्यो के, मूँ परमेसर को बेटो हूँ। तो थाँ क्यो, ‘मूँ परमेसर की नन्दयाँ करूँ हूँ।’ पण मूँ तो वोईस हूँ, जिंने परमेसर चुणन ईं दनियाँ में खन्दायो हे।
वणी जवाब दिदो, “ईसू नाम को एक मनक धूळो आलो करन मारी आक्याँ पे लगायो अन माराऊँ क्यो, ‘सिलोह का कुण्ड में जान धोई ले।’ तो मूँ ग्यो अन जस्यानी में धोयो तो देकबा लागो।”
थूँ वाँकी आक्याँ ने खोले अन वीं अंदाराऊँ उजिता का आड़ी, अन सेतान की सगतिऊँ परमेसर का आड़ी फरे ताँके वाँने पापाऊँ मापी मले अन परमेसर का चुण्या तका लोगाँ के हाते वीं भी बापोती में भेळा वेवे।’
काँके ज्यो काम नेम मनकाँ का पापी हाव-भाव का मस कमजोर वेन ने कर सक्या, वो काम परमेसर किदो, मतलब ओ के, परमेसर आपणाँ बेटा ने आपणी जस्यान पाप की देह में आपणाँ पाप का वाते बली वेबा का वाते खन्दायो। जणीऊँ वो पापी देह में पाप ने दण्ड दिदो।