आन्दा पाच्छा देकबा लागा हे अन लंगड़ा चालबा-फरबा लागा हे, कोड़्या को कोड़ हव वेरियो हे अन बेरा हुणरिया हे अन मरिया तका जीवता वेरिया हा। अन दकी अन गरीब मनकाँ ने हव हमच्यार हुणायो जारियो हे।
ईसू वींने क्यो, “कई थाँ पवितर सास्तर में ओ ने भण्यो के, “‘जणी भाटा ने राज कारीगर बेकार जाण्यो हो, वोईस खुणा को खास भाटो बणग्यो। ओ परबू का आड़ीऊँ व्यो, अन मारी नजर में मोटी बात वीं?’”
काँके परमेसर क्यो हो के, “अन्दारा में उजितो चमकी” अन वोईस आपणाँ हरदा में चमक्यो हे, जणीऊँ आपाँने ईसू मसीऊँ परमेसर की मेमा का वाते ग्यान को उजितो मल सके।