25 ईंपे वणी जवाब दिदो, “मूँ ने जाणूँ के, वो पापी हे कन कोयने। मूँ तो बेस एक बात जाणूँ हूँ, पेल्याँ मूँ आंदो हो अन अबाणू देक सकूँ हूँ।”
ईंपे वणी वाँने जवाब दिदो के, “जणी मने हव किदो, वणी मने क्यो, ‘आपणो वसाणो उठा अन चाल-फर।’”
तद्याँ वाँकाणी वीं मनकऊँ ज्यो आंदो हो, दूजी दाण बलान क्यो, “हव वेग्यो ईं वाते, परमेसर को गुणगान कर वींको ने, काँके माँ तो यो जाणा हाँ के, वो मनक पापी हे।”
तो वणा वणी पूँछ्यो, “वणी थाँरा हाते कई किदो? अन कस्यान थारी आक्याँ खोली?”
वणी वाँने क्यो, “आ तो अचम्बा की बात हे के, थाँ वींने ने जाणो हो के, वो कटा को हे, तो भी वणी मारी आक्याँ खोल दिदी।
अन ज्यो भी मनक परमेसर का बेटा पे विस्वास करे हे, वो खुदई वींकी गवई देवे हे। जद्याँ कुई परमेसर क्यो, वणा बाताँ पे विस्वास ने करे, वो परमेसर ने जूटो ठेरावे हे। काँके परमेसर आपणाँ बेटा का वाते गवई दिदी हे।