यो देकन, वो फरीसी जणी वींने बलायो हो, आपणाँ मन में होचबा लागो, “यद्याँ यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो वेतो तो जाण लेतो के, वाँ कस्यी अन कूण लुगई हे? के, वा तो पापी लुगई हे।”
ईं वाते हाराई लोग-बाग जस्यान परमेसर को आदर-मान करे हे वस्यानीस मारो भी आदर-मान केरी। ज्यो मारो आदर-मान ने करे हे, वीं वणा परमेसर को भी आदर-मान ने करी, जणा मने खन्दायो हे।
अणी पे कुई फरीसी केबा लागा, “जणी मनक यो किदो हे वो मनक परमेसर का आड़ीऊँ ने हे, काँके वो आराम का दन का नेमाने ने माने हे।” दूजाँ क्यो, “पापी मनक कस्यान अस्या परच्या बता सके हे?” अणी बात पे वाँका में आपस में फुट पड़गी।
काँके ज्यो काम नेम मनकाँ का पापी हाव-भाव का मस कमजोर वेन ने कर सक्या, वो काम परमेसर किदो, मतलब ओ के, परमेसर आपणाँ बेटा ने आपणी जस्यान पाप की देह में आपणाँ पाप का वाते बली वेबा का वाते खन्दायो। जणीऊँ वो पापी देह में पाप ने दण्ड दिदो।