9 तद्याँ या बात हुणन हाराई मनक एक-एक करन पराग्या अन हाराऊँ पेल्याँ भूण्डा मनक ग्या अन आकरी में वटे लुगई अन ईसूइस बच्या।
जद्याँ ईसू या बात की, तो वींका हाराई विरोदी लाजा मरबा लागा अन हाराई मनक वणी परचा का कामऊँ ज्यो वणा किदो हो वणीऊँ बड़ई करबा लागग्या।
पसे ईसू हुदा ऊबा वेन वणीऊँ पूँछ्यो, “वीं हारई कटे ग्या? कई कुई भी थने सजा देबा का वाते ने रक्यो?”
तद्याँ ईसू फरीसियाऊँ पाछो क्यो, “दनियाँ को उजितो मूँ हूँ, ज्यो मारा नके आई, वीं अंदारा में ने चाली, पण जीवन को उजितो पाई।”
अन आगले दन भाग-फाट्याँ पाच्छा मन्दर की चोकी में आया अन हारई लोग-बाग वाँका नके आया जद्याँ वीं बेटन वाँने हिकबा लागा।
तद्याँ नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसी लोग कुकरम में पकड़ाणी तकी एक लुगई ने वटे लाया अन वींने हाराई का बचमें ऊबी कर दिदी।
अन ईसू पाच्छा पगा पे बेटन धुळा में आँगळीऊँ लिकबा लागा।
वीं आपणाँ कामऊँ यो बतावे हे के, नेम वाँके काळजा की कोर पे लिक्या तका हे। अन वाँकी अंतर-आत्मा ईं बात की गवई देवे हे। अन वाँका बच्यार वाँने कदी अपरादी बतावे हे अन कदी निरदोस बतावे हे।
थूँ केवे के, कुकरम ने करणो अन खुदई कुकरम काँ करे हे, थूँ ज्यो मूरत्याऊँ रिस्याँ बळे हे, खुदई मन्दर को धन काँ लुटे हे?
ईंका केड़े भी आपणो मन आपणाँ बुरा का का वजेऊँ आपणो विरोद करे हे, तो आद राको, अबाणू भी परमेसर आपणाँ मनऊँ मोटा हे अन वीं हारोई जाणो हे।