7 जद्याँ वीं वाँकाऊँ पूँछता रिया, तो वो हुदो ऊबो वेन वाँकाऊँ क्यो, “थाँका मेंऊँ कणी पाप ने किदो वे, वो पेल्याँ ईंके भाटा की ठोको।”
वणा जवाब दिदो, “कुई भी मनक कदी अस्यी बाताँ ने किदी जस्यी वो करे हे।”
पसे ईसू हुदा ऊबा वेन वणीऊँ पूँछ्यो, “वीं हारई कटे ग्या? कई कुई भी थने सजा देबा का वाते ने रक्यो?”
अन ईसू पाच्छा पगा पे बेटन धुळा में आँगळीऊँ लिकबा लागा।
थाँकी बोली हरदाण दयाळू अन मिठी वे, ताँके थाँ जाण सको के, हाराई मनकाँ ने कस्यान जवाब देणो हे।
अन वणी आपणाँ जीमणा हात में हात तारा ले राक्या हा। वाँका मुण्डाऊँ दोधारी तरवार बारणे निकळरी ही। वाँको मुण्डो दपराँ का सुरज का जस्यान चमकरियो हो।
पापी ने मारबा का वाते वींके मुण्डाऊँ एक तीकी तरवारऊँ बारणे निकळरी ही। वो लोड़ा की लाटी की जोर पे वाँका पे राज करी अन सर्वसक्तिमान परमेसर की गुस्सा की सुल में वाँने अस्यान गूंदी जस्यान अंगूर ने कुण्ड में गुँदे।
ईं वाते आपणो मन बदलो, ने तो मूँ आन वाँके हाते वीं तरवारऊँ लड़ूँ, ज्या मारा मुण्डाऊँ निकळे हे।