काँके मूँ थाँकाऊँ हाचेई कूँ हूँ के, नरई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अन धरमी मनक अणा बाताँ ने देकणी अन हूणणी छाता हा, पण वीं ने देक सक्या अन ने हुण सक्या।
काँके, मूँ थाँने बताणो छावूँ हूँ के, नरई राजा अन परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळा अणा बाताँ ने देकणी छाया, पण वीं देक ने सक्या अन ज्यो बाताँ थाँ हुणरिया हो वाँने वणा हूणणी छई, पण हुण ने सक्या।”
ईं हाराई मनक विस्वास करता कतराई मरग्या अन ज्यो चीज वाँने देबा को वादो किदो ग्यो हो, वाँ वाँने कोनी मली। पण वीं वाँने छेटीऊँ देकी अन वाँकी आवभगत किदी अन वीं ओ भी मानता हा के, वीं ईं धरती में बारवासी अन अणजाण हे।