3 तद्याँ नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसी लोग कुकरम में पकड़ाणी तकी एक लुगई ने वटे लाया अन वींने हाराई का बचमें ऊबी कर दिदी।
तद्याँ वणी राजा हारई मोटा याजकाँ अन मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा ने बलाया अन वाँकाऊँ पूँछ्यो, “मसी को जनम कटे वेणो छावे?”
अन आगले दन भाग-फाट्याँ पाच्छा मन्दर की चोकी में आया अन हारई लोग-बाग वाँका नके आया जद्याँ वीं बेटन वाँने हिकबा लागा।
अन वणा ईसुऊँ क्यो, “हो गरुजी, या लुगई कुकरम करती तकी पकड़ागी हे।
तद्याँ या बात हुणन हाराई मनक एक-एक करन पराग्या अन हाराऊँ पेल्याँ भूण्डा मनक ग्या अन आकरी में वटे लुगई अन ईसूइस बच्या।
पछे लोग-बाग वींने ज्यो पेलाँ आंदो हो, फरीसियाँ का नके लेग्या।
वे वाँ दुई थरप्या तका ने लाया अन पूँछबा लागा, “थाँकाणी कस्यी सगती अन कस्या हकऊँ ओ काम किदो?”
यद्याँ वाँ आपणाँ धणी का जीवता रेताई कणी दूजाँ मनक का हाते वेवार करले, तो वाँ कुकरमी केवावे हे पण यद्याँ वींको धणी मरी जावे तो, ब्याव का नेम वींपे लागू ने वेवे हे अन पछे यद्याँ वाँ कणी दूजो का हाते नातो करले, तद्याँ भी वाँ कुकरमी ने केवावे हे।