काँके वणी एक दन ठेरायो हे, वीं आपणाँ थरप्या तकाऊँ वो धरती का हंगळा मनकाँ को हाँचऊँ न्याव केरी, अन वणी मरिया तका मूँ पाछो जीवतो वेन हंगळा मनकाँ में आ बात पाकी कर दिदी हे।
तद्याँ में हरग ने खुल्यो देक्यो अन वटे कई देकूँ हूँ के, एक धोळो घोड़ा हे। अन वींके ऊपरे ज्या सवार हे वो विस्वास जोगो अन हाँचो हे, काँके वो हाँच का हाते न्याव को फेसलो अन लड़ई करतो हो।