40 तद्याँ भीड़ मेंऊँ कुई ईं बाताँ हुणन क्यो, “हाँची में, यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हे।”
लोग-बागाँ क्यो, “ओ गलील का नासरत नगर को परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो ईसू हे।”
तद्याँ वणा वींकाऊँ पूँछ्यो, “तो थूँ कूण हे? कई, थूँ एलियो हे?” यहुन्ने वाँने जवाब दिदो, “ने, मूँ वो ने हूँ।” तो वणा पूँछ्यो, “कई थूँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हे?” वणी क्यो, “कोनी।”
वीं लुगई क्यो, “हो मारा मालिक मने पतो पड़रियो हे के, थूँ परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो हे।
तद्याँ ज्यो परच्यो ईंस बतायो वींने वीं लोग देकन केबा लागा के, “ईं दनियाँ में ज्यो परमेसर का आड़ीऊँ बोलबावाळो आबावाळो हे। हाँची में यो वोईस हे।”
ईसू का बारा में लोगाँ में छाने-छाने घणी बाताँ वी। कतराई तो केता हाँ, “वो भलो मनक हे।” अन दूजाँ केता हा के, “ने, वो तो लोगाँ ने भरमावे हे।”
जद्याँ वणी ओ क्यो तो यहूदी एक-दूजाऊँ लड़ई करबा लागा अन वटूँ पराग्या।