“वीं आपणाँ हाराई काम लोगाँ ने बतावा का वाते करे हे। वीं हात अन माता पे बांदबा वाळा आपणाँ ताबीजा ने जिंमें वीं सास्तर ने लिकता हा, वाँने मोटा करे हे अन आपणी जोळ्या ने वदावे हे। ताँके मनक वाँने धरमी हमजे।
पछे सेतान वणीऊँ क्यो, “यद्याँ थूँ परमेसर को पूत हे तो अटेऊँ रेटे कुद जा, काँके सास्तर में ओ लिक्यो हे, “‘वीं थारी हार-हमाळ का वाते हरग-दुताँ ने खन्दाई अन वीं थने हातु-हात तोक लेई ताँके थाँरा पगाँ के भाटा की ने लाग जावे।’”
“जद्याँ थाँ परातना करो, तो कपटी मनकाँ का जस्या परातना मती करज्यो, काँके वीं मनकाँ ने दिकावा का वाते परातना घर में अन गेला का ऊपरे ऊबा वेन परातना करणो वाँने हव लागे हे। मूँ थाँने हाचेई केवूँ हूँ के, वणा आपणो फल पा लिदो हे।