65 अन ईसू क्यो, “ईं वाते में थाँने क्यो हो के, जद्याँ तईं परमेसर आबा ने दे, वतरे कुई भी मनक मारा नके ने आ सके हे।”
वणी क्यो, “थाँने हरग का राज का भेद की हमज दिदी हे पण अणा लोगाँ ने ने दिदी हे।
मारे ओर भी गारा हे, ज्यो ईं बाड़ा में ने हे। मने वाँने भी लाणा घणा जरूरी हे। वीं मारी बोली ओळकी, तद्याँ एकीस रेवड़ वेई अन एकीस गवाळ्यो वेई।
यहुन्ने वाँने जवाब दिदो, “जद्याँ तईं परमेसर ने देवे तद्याँ तईं कुई कई ने पा सके हे।
ज्याँने भी परमेसर मने हुप्याँ हे वीं हाराई मारा नके आई अन ज्यो कुई मारा नके आई, वणाऊँ मूँ कदी भी मुण्डो ने फेरूँ।
काँके थाँने बेस मसी पे विस्वास करबा कोईस ने पण वाँका वाते दुक जेलबा को भी मोको मल्यो हे।
अन परबू मारा पे नरी दया किदी, हातेई हाते वो परेम अन विस्वास ज्यो ईसू मसी में हो, वो मने मल्यो।
अन ज्यो विरोद करे वाँने नरमाईऊँ हमजबा वाळो वेणो छावे, कई पतो, परमेसर वाँने भी आपणी गलती मानन मापी माँगबा को मन दे देवे अन वीं भी हाँच जाण जावे।
विस्वास का मालिक अन वींने सिद करबावाळा ईसू मसी का आड़ी आपाँ देकता रा। जणी आपणाँ हामें राक्या तका आणन्द का वाते लाज-सरम की चन्ता ने किदी अन हूळी पे दुक जेल्यो अन परमेसर की गादी के जीमणे पाल्डे जान बेटग्यो।