ईसू वींकी बात हुणन क्यो, “हिवाळ्या के, तो खोकल वेवे हे अन आकास का जनावराँ का वाते गवाळा वेवे हे पण मनक का पूत का वाते मातो ढाँकबा का वाते भी जगाँ ने हे।”
मूँ अबे दनियाँ में ने रेऊँ, पण ईं हाराई दनियाँ में रेई, अन मूँ थाँका नके आवूँ हूँ। हो पवितर बापू आपणाँ वीं नाम की तागतऊँ ज्यो थाँ मने दिदो हे, वाँकी रुकाळी करो, ताँके वीं हाराई आपणे जस्यान एक वे सके।
वीं खाणा वाते मेनत मती करो, ज्यो वासी जावे हे। पण वीं खाणा का वाते मेनत करो, ज्यो अनंत जीवन का वाते हे। अन यो खाणो मनक को पूत थाँने देई, काँके परमेसर वींने यो अदिकार दिदो हे।”