59 ईं हारी बाताँ ईसू कफरनूम नगर का एक परातना घर में किदी ही।
ईसू हाराई गलील देस में यहुदया का परातना घर में हरग का राज को हव हमच्यार को उपदेस देतो अन तरे-तरे का रोगा ने हव करतो तको फरबा लागो।
पसे ईसू गलील परदेस का कफरनूम नगर में ग्या अन आराम का दन मनकाँ ने उपदेस देबा लागा।
ईसू वाँने क्यो, “में हाराऊँ खुलन बाताँ किदी। में परातना घर अन मन्दर में, जटे हारई मनक भेळा व्या करता हा। वटे हरदाण हिक दिदी अन छाने कई भी ने क्यो।
अन अंदारो घणो वेग्यो हो, पण ईसू वाँके नके आलतरे ने आया हा, तो नाव में बेटन समन्द के पेली पार कफरनूम का आड़ी चाल पड़्या।
जद्याँ लोग-बागाँ की भीड़ देक्यो के, अटे ने तो ईसू हे अन नेई वींका चेला हे, तो वीं नावाँ में बेटन ईसू ने होदता तका कफरनूम आग्या।