या हरगऊँ उतरी तकी रोटी हे, आ वणी मन्ना का जस्यान ने हे, जिंने आपणाँ बड़ाबा खादो, तद्याँ भी वीं मरग्या। पण ज्यो कुई या रोटी खाई, वीं हमेस्यान जीवता रेई।”
जिंके कान्दड़ा हे वीं हुणीलो के, आत्मा मण्डळ्याऊँ कई केवे हे। ज्यो भी जिती, मूँ वाँने हरग में हपायो तको मन्नो देऊँ। मूँ वाँने एक धोळो भाटो भी देऊँ, जिंका ऊपरे एक नुवो नाम लिक्यो तको वेई। वो नाम वीं मनक का छोड़न कुई ने जाणी, जिंने वो दिदो जाई।