28 वणा मनकाँ ईसुऊँ क्यो, “परमेसर जणा कामाँ ने छावे हे, वाँने करबा का वाते माँ कई करा?”
एक मनक ईसू का नके आयो अन वाँकाऊँ क्यो, “हो गरुजी, मूँ कस्यो भलो काम करूँ के, अनंत जीवन पाऊँ?”
अन देको, मूसा का नेम हिकाबावाळो ऊबो व्यो अन ईसू की परक करबा का वाते वणीऊँ पूँछ्यो, “गरुजी, अनंत जीवन पाबा का वाते मूँ कई करूँ?”
वीं खाणा वाते मेनत मती करो, ज्यो वासी जावे हे। पण वीं खाणा का वाते मेनत करो, ज्यो अनंत जीवन का वाते हे। अन यो खाणो मनक को पूत थाँने देई, काँके परमेसर वींने यो अदिकार दिदो हे।”
ईसू वाँने जबाव दिदो, “परमेसर ज्यो छावे हे, वो यो हे के, जिंने वणी खन्दायो हे, वींपे विस्वास करो।”
अन वाँने बारणे लान क्यो, “हो भई-लोगाँ! बंचबा के वाते मूँ कई करूँ?”
लोग-बागाँ जद्याँ ओ हुण्यो, तो वाँको मन दकी वेग्यो अन पतरस की लारे दूजाँ चेलाऊँ क्यो, “तो भायाँ, माने कई करणो छावे?”
पण, अबे थूँ ऊबो वेजा अन नगर में जा, वटे थने बता दिदो जाई के, थने कई करणो हे।